जैसे ही में पार्किंग से बाहर आया एक छोटा सा लड़का कार के नीचे आते आते बचा, उसको मेंने टक्कर लगने से बचा तो लिया लेकिन बुरी तरह से घबरा गया था में, अपनी कार को साइड में लगा कर कार से नीचे उतरते ही उस छोटे लड़के के गाल पे एक जोरदार तमाचा मार दिया और बुरी तरह चित्ला कर डांटने लगा, लड़का ४-५ साल की उम्र का था वो जोर जोर से रोने लगा. शोर सुनकर कुछ लोग भी इकठ्ठा हो गए और सबके सब उसके माँ बाप को गाली देने लगे किसी ने कहा संभाल नहीं सकते तो रोड पे पैदा कर के मरने के लिए क्यूँ छोड़ देते है,
इतने में ही एक छोटी लड़की जिसकी उम्र कोई १-१२ साल रही होगी दोड़ती हुई आई और उस बच्चे को गोद में उठा लिया। उस लड़की को देख कर मुझे बहुत खीज सी हुई, मन में आया कि कैसे लोग है ये जो बच्चो का भी ध्यान नहीं रख सकते।
उस लड़की के फटे हुए कपडे, नंगे पैर, अंदर धंसी हुई आँखे बया कर रही थी कि वो बहुत ही खराब आर्थिक स्थिति में है उसको देख कर मेरे मन में दया सी उभर आई, लेकिन भीड़ में से कुछ लोग उसको भला बुरा सुना रहे थे. मेरे मन में कई तरह के सवाल उठने लगे, उस लड़की को मैंने पहले कभी इस गली में नहीं देखा था. मैंने भी उससे डाँटते हुए कहा की लड़के का ध्यान नहीं रख सकती तेरे माँ बाप को अपने बच्चों की इतनी भी परवाह नहीं है? वो सुबुकने लगी, बोली बापू मर गया, माँ छोड़ कर पता नहीं कहाँ चली गई, ये मेरा छोटा भाई है इसको मैं पिलर से बाँध कर जाती हूँ लेकिन आज सुबह वो १० नम्बर वाली फ्लेट की मेमसाहब की तबियत ठीक नहीं थी और उनके घर काम करने वाली बाई आज नहीं आई थी तो उन्होंने १० रुपये देकर आज मुझे काम पे बुला लिया, एक घर का एक्स्ट्रा काम निपटाने की जल्दी में इसको पिलर से बांधना भूल गई. मुझे माफ़ कर दो साहब आईदा से ऐसी गलती नहीं होगी।
मेरे मन का गुस्सा और सवाल सब पता नहीं कहाँ काफूर हो गए. एक तरफ उस लड़के का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से उस छोटी लड़की का हाथ पकड़ा और १० नम्बर फ्लैट की कॉलबेल बजा दी, शेता ने दरवाजा खोला और आँखों में सवाल लिए मेरी तरफ देखा। मैंने कहा श्वेता हम १५ साल से बच्चो के लिए तड़प रहे थे, भगवान ने हमें एक साथ २ बच्चे दे दिये, श्वेता बिना कुछ बोले अंदर चली गई, मेरे मन में अगले पल के लिए शंका थी की पता नहीं अब क्या होने वाला है.
अगले पल श्रेता अपने हाथों में 2 तौलिये लेकर आई और बोती चलो बेटा जल्दी से नहा लो फिर स्कूल में दाखिले के लिए चलना है.