फिर नया सूरज उगेगा
फिर नया सूरज उगेगा
तिमिर का कण-कण छंटेगा
है अटल विश्वास।
चल रहा है चाल उलटी
वक़्त ने करवट है बदली
आंसुओं का बह रहा जो
हर तरफ सैलाब।
हौसलों से यह थमेगा
है अटल विश्वास।
कितने दुःख और आपदा का
सामना हमने किया है
किन्तु अपने हौसलों को
हमने न डिगने दिया है
हम हर इक तूफ़ां से कश्ती
खींच लाएंगे
हम हर इक चेहरे पे फिर
मुस्कान लाएंगे।
है भरोसा ईश का
न टूटेगी यह आस
है अटल विश्वास।
कसम अब हमने उठा ली
भूल कर न भूल होगी
हम नहीं देंगे धरा को
अब तनिक भी त्रास
इस धरा पर हम भरेंगे
इक नया उल्लास।
है अटल विश्वास।।
फिर नया सूरज उगेगा
तिमिर का कण-कण छंटेगा
है अटल विश्वास।
🌹कल्पना मिश्रा🌹
छत्तरपुर, नई दिल्ली