फिर नया सूरज उगेगा फिर नया सूरज उगेगा तिमिर का कण-कण छंटेगा है अटल विश्वास। चल रहा है चाल उलटी वक़्त ने करवट है बदली आंसुओं का बह रहा जो हर तरफ सैलाब। हौसलों से यह थमेगा है अटल विश्वास। कितने दुःख और आपदा का सामना हमने किया है किन्तुKnow More

लेखक: विद्यानन्द गुप्ता (अधिवक्ता) लाखेरी (अरनेठा) जिला बूंदी राजस्थान. भारतीय समाज में आरंभ से पुत्र संतति की महत्ता को माना गया, पुत्र के अभाव में जीवन अपूर्ण माना जाता रहा है और पुत्र के बिना भवमुक्ति नहीं हो सकती। यही कारण रहे कि समाज मे पुत्र की महत्ता पुत्री कीKnow More